Saturday, September 7, 2013

Jab tu kho jayega mujhmein main tujh ko paa loongi yaara


मैं तेरे ही रंग की यारा , मैं तेरे ही ढंग की यारा
तुझ में यूँ घुल जाउंगी ज्यूँ दूध के संग में मिश्री यारा ।
तू ना पहचानेगा खुद को ऐसा रंग रंग दूगीं यारा
तू ढूंढेगा खुद को मुझमें ढूढ़ नहीं पायेगा यारा ।
तू बड़ा धनवान है यारा तेरा कोई मकान न यारा
मेरे अंदर ही तू रहता, फिर कैसा धनवान तू यारा ।
मैं तो तेरे पास न आऊं तू खुद ही आएगा यारा
मेरा प्यार है तुझसे ज्यादा इसीलिए तू भ्रम में यारा ।


जब तू खो जायेगा मुझमें मैं तुझ को पा लूंगी यारा
तुझको पाकर रहूंगी ना मैं तुझमें ही खो जाउंगी यारा ।
बहुत हो गया झगडा यारा झगडा ही है प्यार हमारा
तू मेरे ही रंग रंगा है तू मेरी ही छवि है यारा ।

                                                                -----सीमा श्रीवास्तव

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Friday, September 6, 2013

तुझसे कैसे रहूँगा दूर तू तो है मेरा ही नूर


मुझे बता मैं हूँ कौन
बता मुझे तू क्यूँ है मौन
तेरा मेरा क्या है नाता
बता सामने क्यूँ नहीं आता ?

मैंने तुझको देखा नहीं ,क्या तूने मुझको देखा है ?
पहचानूंगी कैसे तुझको कोई नाम भी तूने रक्खा है ?
तू कहाँ पे रहता है और तू कैसा दिखता है ?
पूछ पूछ के थक गयी मैं क्यूँ तू छुपता फिरता है ?

मुझे मेरी पहचान बता
अब तू मेरे सामने आ
मुझसे न तू नज़र चुरा
मुझे मेरा दीदार करा

"मैं नहीं छुपा कहीं मैं तो हूँ बस अभी यहीं
तू ने ही आँखें मूंदी हैं जो मैं तुझको दिखा नहीं
तुझको नहीं है ये आभास मैं तो सदा ही तेरे पास
तुझमें मुझमें कोई न भेद हम हमेशा से हैं एक


तुझसे कैसे रहूँगा दूर तू तो है मेरा ही नूर
तू मुझमें मैं तुझमें हूँ कोई किसी से नहीं है दूर "
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