
समस्त भाव में सबसे महत्वपूर्ण भाव है प्रेम का, होना भी चाहिए सभी एक ही जीवन स्रोत से आयें हैं सभी की एक ही खोज है । प्रेम ही वो झरना है जिसकी धारा हमारे हृदय से बह है और हमारी जड़ो को सींच रही वरना हम दिमाग तक ही सीमित रह जाते । दिमाग है शोषक और ह्रदय है पोषक ।जितना व्यक्ति हृदय से जुड़ा रहता है उतना...