ध्यानी
और प्रेमी व्यक्ति कि चाल ढाल उठने बैठने का सलीका बोलने चालने का ढंग
बहुत ही सौम्य और शालीन हो जाता है यही है सभ्य व्यक्ति ,जो कि अच्छा लगता
है । हम इनकी नक़ल करते हैं । हम यह विचार नहीं करते कि यह सलीका इनमें
कैसा आया । हम तो है असहज अंदर से खौल रहे ऊपर से लगा लिया ढक्कन यह है
ऊपर से लादा हुआ सभ्य आदमी का चोगा ।हम हैं तो असहज नक़ल करते सहज की इस
कारण हमारी ऊर्जा बाहर नहीं निकल पाती जिसके कारण हम तनावग्रस्त रहते हैं
।
- सीमा आनंदिता
- सीमा आनंदिता
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