नानक
,बुद्ध, कबीर, ईसा मसीह और महावीर जैसे लोग आखिर विशेष क्यों हैं ? इनमे
और हममें क्या अंतर है ?क्यों हम इन जैसे या ये हमारे जैसे नहीं हैं ?क्या
परमात्मा ने हमारे साथ कोई भेद भाव किया या उनको कुछ विशेष दिया ?जब कि वो
परम पिता है और उसके लिए उसकी सब सन्तान
बराबर हैऔर यदि वो सबको एक सा प्यार करता है तो फिर एसा क्योँ ?परमात्मा
ने तो सबको बराबर ही सब कुछ दिया हुआ हैं। अंतर यह है कि इनको जो परम
पिता से मिला था उन्होंने उसको छोड़ा नहीं ,बड़े जतन से उसको सम्भाले रखा ।
इस धरती पर यात्रा करने आये थे और एक यात्री कि तरह यात्रा कर के चले गए
और जो परमात्मा से लाये थे निर्दोषता निश्छलता निर्मलता वही वापस लेकर गए ।
कबीरदास कहते ही है कि - दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धर दीन्ही
चदरिया - पर हम लोग अपनी आत्मा की चदरियां को मलिन कर लेते हैं और
यहाँ ऐसे रहने लगते हैं जैसे कि हमेशा यहीं रहना है व परमात्मा के पास नहीं
लौटना जिसके कारण निर्मलता व निश्छलता छूट जाती है । बस यही है अंतर
हममें और इनमें और यही बातें इनको विशेष बनती हैं ।
-सीमा आनंदिता
-सीमा आनंदिता
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