धर्म का अर्थ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई नहीं हैं ये तो मार्ग है उस सत्य तक पहुँचने का । धर्म का अर्थ है स्वभाव जैसे अग्नि का स्वभाव है जलना फूल का स्वभाव है सुगंध वैसे ही मनुष्य का स्वभाव है शांत और निर्विचार। ये सभी मार्ग उसको उसके स्वभाव तक पहुँचाने के लिए सहायक हैं । वस्तुतः तो हमें किसी मार्ग की आवश्यकता नहीं है हम वहीँ खड़े हैं जहाँ हमे होना चाहिए पर शायद हम भूल गए हैं इसलिए गोल गोल घूमकर वहीँ आ जाते हैं अपने घर । जैसे कस्तूरी कुंडल बसे ।
सीमाआनंदिता —
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