कुछ दिन से यह एहसास हो रहा है
जैसे कि सब कुछ कैनवास पर चल रहा है
चलते फिरते लोग बनती बिगडती लकीरे हों
जो कुछ उभर रही हैं और कुछ छुप रही हैं
सब कुछ मिश्रित हो रहा है
कुछ नया बन रहा है
तो कुछ पुराना खो रहा है
फिर भी पहचाना पहचाना सा लग रहा है
सीमा आनंदिता
जैसे कि सब कुछ कैनवास पर चल रहा है
चलते फिरते लोग बनती बिगडती लकीरे हों
जो कुछ उभर रही हैं और कुछ छुप रही हैं
सब कुछ मिश्रित हो रहा है
कुछ नया बन रहा है
तो कुछ पुराना खो रहा है
फिर भी पहचाना पहचाना सा लग रहा है
सीमा आनंदिता
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