Friday, October 18, 2013

shashtra

स्वयं के द्वारा किया गया अनुभव ही  स्वयं का शाश्त्र है  । जिसने शास्त्र लिखे वो उनके स्वयं के अनुभव होगें ,उनके अनुभव हमारे अनुभव नहीं हो सकतें,हाँ थोड़ी  सी सूचना जरुर  दे सकतें हैं हमारी स्वयं की  यात्रा  के लिए । शाश्त्रो में लिखा है कि आत्मा अमर हैं यह  सूचना हमें शास्त्र से मिलती है  परन्तु यह सूचना सत्य है कि असत्य जो उसको जानने का  प्रयत्न करतें हैं व लिखी लिखाई बात को सत्य मानकर नहीं बैठ जातें हैं,उन लोगो के लिए शाश्त्र सहारा है उनकी अपनी खोज के लिए ।  हमारे अनुभव के अनुसार हमारे शास्त्र होने चाहिएं न कि शाश्त्र के अनुसार हमारे अनुभव ।
                                            -   सीमा आनंदिता

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