स्वयं के द्वारा किया गया अनुभव ही स्वयं का शाश्त्र है । जिसने शास्त्र लिखे वो उनके स्वयं के अनुभव होगें ,उनके अनुभव हमारे अनुभव नहीं हो सकतें,हाँ थोड़ी सी सूचना जरुर दे सकतें हैं हमारी स्वयं की यात्रा के लिए । शाश्त्रो में लिखा है कि आत्मा अमर हैं यह सूचना हमें शास्त्र से मिलती है परन्तु यह सूचना सत्य है कि असत्य जो उसको जानने का प्रयत्न करतें हैं व लिखी लिखाई बात को सत्य मानकर नहीं बैठ जातें हैं,उन लोगो के लिए शाश्त्र सहारा है उनकी अपनी खोज के लिए । हमारे अनुभव के अनुसार हमारे शास्त्र होने चाहिएं न कि शाश्त्र के अनुसार हमारे अनुभव ।
- सीमा आनंदिता
- सीमा आनंदिता
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