विश्वाश में एक सुरक्षा है हम बनी बनायीं मान्यताओ को मानते चले जातें है । अविश्वाश करने में खतरा है हम अकेले खड़े है हमें अपना रास्ता स्वयं खोजना है इसलिए भीड़ के साथ चलने में सुविधा है । सत्य की खोज तभी हो सकती है जब हम असुरक्षित अनुभव करतें हैं एक तरह से मृत्यु से हो कर गुजरना पड़ता है ,जहाँ सब कुछ अज्ञात है ,मनुष्य सुरक्षित रहना चाहता है । एक धर्म को मानने वाले एक ही धर्म को पीढ़ी दर पीढ़ी मानते चले जाते हैं दूसरे धर्मों के बारे उन्हें कोई जानकारी ही नहीं होती है । सब मूर्छित से चलते चले जाते हैं । कोई भी धर्म जब नया होता है तब वो मौलिक होता है। सब उसी एक की ओर इशारा करतें हैं झगडे की कोई बात ही नहीं लेकिन जैसे जैसे और चीज़ें उसमे जुडती जातीं हैं उसकी मौलिकता नष्ट होती जाती हैं इसीलियें नए नए धर्म और शाश्त्रों की आवश्यकता होती है वरना तो वेद ही पर्याप्त थे ।
सीमा आनंदिता
सीमा आनंदिता
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