परमात्मा है महाशांति - वहां मौन ही प्रविष्ट कर सकता है शांति ही उस परम शांति को छू सकती है उस जगत में शोर की आवश्यकता नहीं है । चिल्लाने की आवश्यकता तो हमे इस जगत में पड़ती है क्योँ कि यहाँ पर सभी व्यस्त हैं परमात्मा तो महा विश्राम में है । इस जगत में लोगों के इतने विचार चल रहें हैं कि जब तक न चिल्लाओं वे नहीं सुनते,जब कि परमात्मा तो महा शून्य है जरा सी भी भाव की तरंग उस तक पहुँच जाती है । शांति ही उसकी प्रार्थना है ।
---- सीमा आनंदिता
---- सीमा आनंदिता
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