Saturday, October 19, 2013

yashodhra


जीवन नहीं छलावा एक हक़ीकत है
यशोधरा से बुद्ध को मिली नसीहत है
सत्य अगर है सत्य तो वो हर क्षण में है
जीवन के हर पथ में हर कण कण में है ।

अब प्रश्न कहाँ जीवन के इस-उस पार का
घर उपवन नदिया सागर मंझधार का ?
वन में ही था सत्य तो वापस आता क्यों ?
प्यार यशोधरा का मुझे बुलाता क्यों ?

ढूंढ़ रहे गर सत्य तो भटक न जाना तुम
अगर कहीं हो दूर तो घर आ जाना तुम
यही ज्ञान पाकर तो स्वयं मैं लौटा हूँ
यशोधरा के आगे आज मैं छोटा हूँ ।

भूल हुई जो मैंने घर को त्यागा था
तुमको और राहुल को छोड़ के भागा था
यशोधरा ! मेरा तप बहुत अधूरा है
सत्य तो बस तेरी आँखों का पूरा है ।
---आनन्द बिहारी

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