Friday, October 25, 2013

infinity

कहीं तो ऐसा आयाम हो जिसमे जाकर मैं खो जाऊं
न समय का आभास हो बस अनंत का विस्तार हो
चाहे हम जी लें कितने साल जीतें हैं सिर्फ चौबीस घंटे
बंधे बंधाएं समय में यूँ ही गुज़र जाता सारा जीवन
अंत समय हाथ में  लगतें हमारें सिर्फ चौबीस घंटे
मुझे चाह उस आयाम की  जहाँ हो
अनंत से  अनंत का मिलन
फिर किसकी मृत्यु कैसी मृत्यु
मृत्यु तो कभी घटी नहीं
जीवन ही जीवन है
मरा तो कोई कभी नहीं
                     सीमा अनंदिता

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